नई दिल्ली: महाराष्ट्र के अकोला जिले के दो युवाओं अक्षय कवले और अक्षय वैराले ने एक ऐसा स्टार्टअप शुरू किया जिसने किसानों की जिंदगी बदल दी।
साल 2022 में शुरू हुआ उनका यह वेंचर आज 6 राज्यों में 20,000 से ज्यादा किसानों की खेती आसान बना चुका है।
सिर्फ 2000 रुपये की किफायती मशीनों से शुरुआत करने वाला यह स्टार्टअप अब 1.5 करोड़ रुपये का कारोबार कर रहा है।
कैसे शुरू हुई कहानी
अकोला जिले में सूखे और किसान आत्महत्या जैसी समस्याएं आम थीं।
इन्हीं हालातों ने अक्षय कवले और अक्षय वैराले को सोचने पर मजबूर किया कि किसानों की मदद कैसे की जाए।
दोनों इंजीनियरिंग ग्रेजुएट्स ने पढ़ाई के बाद गांव लौटकर "AgroSure Products & Innovation" नाम से स्टार्टअप शुरू किया।
उनका लक्ष्य था — छोटे, सीमांत और महिला किसानों के लिए सस्ती और टिकाऊ मशीनें बनाना ताकि खेती की लागत घटे और आय बढ़े।
मशीनों से किसानों को मिली नई ताकत
खेती की कुल लागत का लगभग 40% हिस्सा लेबर कॉस्ट होता है।
गांवों में मजदूरों की कमी ने किसानों की परेशानी और बढ़ा दी थी।
अक्षय कवले और वैराले की बनाई मशीनों के इस्तेमाल से प्रति एकड़ लागत 40-50% तक घट जाती है।
उनके सबसे लोकप्रिय उत्पाद हैं —
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मैनुअल सीडर
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पावर वीडर
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ट्रैक्टर-माउंटेड वीडिंग अटैचमेंट
इन मशीनों की खासियत यह है कि ये जेंडर-फ्रेंडली हैं, यानी महिलाएं भी आसानी से चला सकती हैं।
कम शोर और कंपन वाली इन मशीनों की कीमतें ₹2000 से शुरू होती हैं।
महिलाओं के लिए बदलती तस्वीर
अक्षय कवले और अक्षय वैराले ने महिला किसानों और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के लिए खास मशीनें तैयार की हैं।
इन मशीनों की मदद से महिलाएं अब खेत में स्वतंत्र रूप से काम कर पा रही हैं।
इससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है, बल्कि सशक्तिकरण की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया गया है।
1.5 करोड़ तक पहुंचा कारोबार
स्टार्टअप का 2024-25 में टर्नओवर ₹75 लाख था।
अब 2025-26 में यह आंकड़ा ₹1.5 करोड़ को पार करने की उम्मीद है।
कंपनी ने अब तक 30 से अधिक मशीनें विकसित की हैं और लगातार अपने उत्पाद पोर्टफोलियो को बढ़ा रही है।
ग्लोबल पहचान और इनक्यूबेशन सपोर्ट
"AgroSure" को IIT कानपुर, IIM बेंगलुरु और अन्य संस्थानों से इनक्यूबेशन सपोर्ट मिला है।
संस्थापक अक्षय कवले को IIM के The Buddha Institute से प्रतिष्ठित फैलोशिप भी मिली।
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) की ओर से रोम में कृषि नवाचार के लिए
कंपनी को ग्लोबल अवार्ड दिया गया, खास तौर पर महिला सशक्तिकरण श्रेणी में।
अब यह स्टार्टअप अपने उपकरणों को अफ्रीकी देशों में निर्यात करने की योजना बना रहा है,
क्योंकि वहाँ की खेती की परिस्थितियाँ भारत जैसी हैं।
किसानों के बीच भरोसे का नाम
कंपनी सिर्फ मशीनें नहीं बेचती, बल्कि किसानों को ट्रेनिंग भी देती है।
वे कृषि विज्ञान केंद्रों (KVKs) और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर डेमो सत्र आयोजित करते हैं।
इससे किसानों ने आधुनिक तकनीक अपनाई और खेती के खर्च में भारी कमी आई।
पहले जहाँ एक एकड़ खेती में ₹1800-2000 प्रतिदिन खर्च होता था,
अब वही काम ₹200-300 प्रति एकड़ में पूरा हो जाता है।
यानी किसानों की आय में वास्तविक सुधार हुआ है।
निष्कर्ष
अक्षय कवले और अक्षय वैराले की यह कहानी सिर्फ बिजनेस की नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत की उम्मीद की कहानी है।
उनके इनोवेशन ने साबित किया कि अगर इरादा मजबूत हो, तो छोटे संसाधन भी बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं।
सिर्फ ₹2000 की मशीनों से शुरू हुआ यह सफर अब लाखों किसानों की जिंदगी रोशन कर रहा है।
FAQs
Q1: AgroSure Products & Innovation किस साल शुरू हुआ था?
A1: यह स्टार्टअप साल 2022 में अक्षय कवले और अक्षय वैराले ने शुरू किया था।
Q2: कंपनी के प्रमुख उत्पाद कौन से हैं?
A2: मैनुअल सीडर, पावर वीडर और ट्रैक्टर-माउंटेड वीडिंग अटैचमेंट इसके प्रमुख उत्पाद हैं।
Q3: मशीनों की शुरुआती कीमत कितनी है?
A3: मशीनों की शुरुआती कीमत ₹2000 से शुरू होती है।
Q4: स्टार्टअप का 2025-26 में अनुमानित टर्नओवर कितना है?
A4: लगभग ₹1.5 करोड़ रुपये से अधिक।
Q5: क्या AgroSure को अंतरराष्ट्रीय पहचान मिली है?
A5: हाँ, इसे संयुक्त राष्ट्र (UNDP और FAO) से रोम में इनोवेशन के लिए पुरस्कार मिल चुका है।
यूज़र कमेंट्स
ऐसे युवाओं को देखकर गर्व होता है, जिन्होंने गांव लौटकर बदलाव लाया।
सिर्फ ₹2000 से शुरू होकर करोड़ों का बिजनेस बनना वाकई प्रेरणादायक है।
महिला किसानों के लिए इतनी सोच रखने वाले स्टार्टअप बहुत कम हैं।
कवले और वैराले जैसे इनोवेटर्स ही भारत के असली हीरो हैं।
इनकी मशीनें वाकई खेती का चेहरा बदल सकती हैं।
सरकार को ऐसे इनोवेशन को और बढ़ावा देना चाहिए।