धनतेरस का इतिहास और धार्मिक महत्व: क्यों मनाई जाती है यह तिथि

Neha Mehta | 10 Oct 2025 धनतेरस का इतिहास और धार्मिक महत्व: क्यों मनाई जाती है यह तिथि

दीपावली से पहले आने वाली धनतेरस को समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है। यह दिन न केवल खरीदारी या लक्ष्मी पूजा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके पीछे एक गहरा धार्मिक और ऐतिहासिक अर्थ भी जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं — धनतेरस का इतिहास, इससे जुड़ी कथाएं और धार्मिक मान्यताएं, जो इस पर्व को विशेष बनाती हैं।


धनतेरस का इतिहास

धनतेरस को "धनत्रयोदशी" कहा जाता है, क्योंकि यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है।
पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। वे आयुर्वेद और स्वास्थ्य के देवता माने जाते हैं। उनके प्रकट होने का यह दिन ही "धनतेरस" कहलाया।

कुछ कथाओं के अनुसार, इसी दिन यमराज के नाम का दीपक जलाने की परंपरा भी शुरू हुई थी, ताकि अकाल मृत्यु से रक्षा हो सके। इसी कारण से इसे "यमदीपदान" भी कहा जाता है।


धार्मिक महत्व

धनतेरस का संबंध धन, स्वास्थ्य और दीर्घायु से है।
इस दिन लोग भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा करते हैं।
यह दिन दीपावली के पांच दिवसीय त्योहार की शुरुआत का प्रतीक भी है।

मान्यता यह है कि

1. इस दिन नए बर्तन, सोना-चांदी या कोई मूल्यवान वस्तु खरीदने से घर में समृद्धि आती है।
2. शाम के समय दीप जलाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
3. भगवान धन्वंतरि की आराधना करने से स्वास्थ्य लाभ और रोगों से मुक्ति मिलती है।

धनतेरस से जुड़ी प्रसिद्ध कथाएं

1. भगवान धन्वंतरि का अवतार

समुद्र मंथन के समय जब देवता और असुरों के बीच अमृत पाने की होड़ लगी, तब भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए। इसलिए इस दिन स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए उनकी पूजा की जाती है।

2. यमराज और राजा हेम की कथा

एक राजा हेम के पुत्र की कुंडली में तेरहवें दिन सर्पदंश से मृत्यु का योग लिखा था। जब वह दिन आया, उसकी पत्नी ने रातभर दीपक जलाए और घर के दरवाजे पर आभूषणों और दीयों की सजावट की। जब यमराज सर्प के रूप में आए, तो उस रोशनी से उनकी आंखें चौंधिया गईं और वे बिना कुछ किए लौट गए। तभी से इस दिन "यमदीपदान" की परंपरा शुरू हुई।


धनतेरस कैसे मनाई जाती है

1. सुबह घर की सफाई की जाती है और मुख्य द्वार पर रंगोली बनाई जाती है।
2. शाम के समय भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा की जाती है।
3. घर के प्रत्येक कोने में दीपक जलाए जाते हैं।
4. लोग नए बर्तन, सोना-चांदी या पूजा सामग्री खरीदते हैं।
5. कई जगहों पर दान देने की भी परंपरा होती है।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्र1. धनतेरस को यमदीपदान क्यों कहा जाता है?
इस दिन यमराज के नाम का दीप जलाकर अकाल मृत्यु से रक्षा की प्रार्थना की जाती है।

प्र2. क्या धनतेरस पर केवल खरीदारी करना ही आवश्यक है?
नहीं, सबसे महत्वपूर्ण पूजा और दीपदान करना है। खरीदारी शुभता का प्रतीक मात्र है।

प्र3. क्या धनतेरस का संबंध आयुर्वेद से भी है?
हां, भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का जनक माना गया है, इसलिए इस दिन स्वास्थ्य की कामना के लिए उनकी पूजा की जाती है।

प्र4. धनतेरस पर किन देवताओं की पूजा की जाती है?
इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा की जाती है।

यूज़र कमेंट्स

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Ravi Sharma 10 October 2025

हमारे घर में धनतेरस के दिन यमदीपदान की खास परंपरा है। मेरी दादी कहती हैं कि इस दीपक से घर की नकारात्मकता दूर होती है और सुख-शांति आती है।

P
Pooja Mehta 10 October 2025

पहले मुझे लगता था कि धनतेरस सिर्फ खरीदारी का दिन है, लेकिन अब इसके पीछे की धार्मिक कथा जानकर अच्छा लगा। यह लेख बहुत जानकारीपूर्ण है।

A
Amit Raj 10 October 2025

हमारे यहां धनतेरस की शाम को धन्वंतरि भगवान की विशेष आरती की जाती है। पिछले साल हमने पहली बार यमदीप जलाया था, अनुभव बहुत अच्छा रहा।

K
Kiran Singh 10 October 2025

हमारे गांव में महिलाएं धनतेरस की रात को दीपक जलाकर लोकगीत गाती हैं। पूरा माहौल त्योहार जैसा बन जाता है, सच में बहुत सुंदर परंपरा है।

S
Sandeep Verma 10 October 2025

बहुत अच्छा लेख है, सरल भाषा में समझाया गया है। अब धनतेरस का असली अर्थ समझ आया।

M
Meena Tiwari 10 October 2025

हमारे यहां आज भी बर्तन खरीदना जरूरी माना जाता है। दादी हमेशा कहती हैं कि बर्तन ही असली धन का प्रतीक हैं।

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